Monday, March 26, 2012

एक जनम दिन की यादें ....

आज तुम्हारा जन्मदिन है
में नहीं जानता तुम्हे कैसे मुबारक दूं
क्योंकि तुम्हे मेरी आवाज़ से भी.
शायद नफरत हो गई  है !
तुम्हारा इस नफरत का मेरे पास
कोई स्पष्टीकरण नहीं है 
क्योकि तुम मुझे समझ कर भी
नहीं समझ सकीं
यह मेरा भाग्य की अजीब विडम्बना है !
मुझ में अब तुमसे
कुछ भी मांगने की हिम्मत नहीं रही
क्योंकि पहले बेहत प्यार मिला
बिना मांगे
और अब नफरत !
लेकिन तुम्हारे यह नफरत और बेरुखी
में भी मुछको कुछ मिला है
जो मेरे दिल के बहुत निकट हैं
और वो है चिरकाल से जमे हुए
आँसू ,जो कभी कभी फूट आते है !
जीवन की ढलती श्याम में
तुमसे मिला यह तोहफा
मुछे बहुत प्यारा है !
ईशवर से तुम्हारे लम्बे जीवन की
कामना करने से शायद तुम मुछे चाह कर भी
मना  नहीं कर सकती
क्योंकि मुछे कामना करने का
अधिकार तुमीने दिया था !